अपने रियलटी शो में वह इतना
रियल हो जाते हैं
कि घर के झगडे
टीवी के सामने लाते हैं
फिल्म के परदे पर
प्रेम करने वाले भी
जोरदार झगडा करते हुए
बहुत जल्दी अपनी औकात पर उतर जाते हैं
उनकी रियलटी में न तो प्रेम है न झगडा
सब जगह केवल झूठ बेचते नजर आते हैं
---------------------------------------------------
शब्द तो श्रृंगार रस से सजा है, अर्थ न हो उसमें क्या मजा है-दीपकबापूवाणी
(Shabd to Shrangar ras se saja hai-DeepakBapuwani)
-
*बेपर इंसान परिदो जैसे उड़ना चाहें,दम नहीं फैलाते अपनी बाहे।कहें दीपकबापू
भटकाव मन कापांव भटकते जाते अपनी राहें।---*
*दीवाना बना ...
4 years ago
No comments:
Post a Comment