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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

11/17/14

नये संकटमोचकों के नाटक-हिन्दी कविता(naye sankatmochokon ke natak-hindi poem)



सुनते थे संकट में

सर्वशक्तिमान हमेशा

भक्तों को बचाने आते हैं।


शायद यह सतयुग की बात होगी

कलियुग में इंसान से

 सर्वशक्तिमान बने लोग

अपने पाप छिपाने के लिये

भक्तों की भीड़

आश्रम पर लगाते हैं।


कहें दीपक बापू भक्ति का भ्रम

शराब और सिगरेट से

ज्यादा खराब होता है,

मन में बुरे इष्ट स्मरण से

मनुष्य का विवेक बर्बाद होता है,

मोह और माया के जाल में फंसे

कथित नये सर्वशक्तिमान

कभी संकट मोचक नहीं बनते

जब तक तबाह न हो जाये भक्त

बचाने का नाटक ही रचाते हैं।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak Raj kurkeja "Bharatdeep"
Gwalior Madhya Pradesh

कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://rajlekh.blogspot.com 

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