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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

10/7/07

चिट्ठा शब्द पर चर्चा

ब्लोग का मतलब जिस तरह चिट्ठा लिखा जा रहा है उसे सर्वमान्य तो नहीं माना जा सकता क्योंकि उसमें केवल आंकडे दर्ज होते हैं और अगर उसमें किसी भाषा के शब्द होते हैं भी हैं वह अंकों के सहायक होते हैं। ब्लोग का जन्म १९९९ में हुआ और इसके जन्मदाताओं का मुख्य उद्देश्य अपने संदेश संप्रेषण से था और उसमें भी उनके भाव अंक प्रधान नहीं बल्कि शब्द प्रधान थे। अगर हम इसे हिंदी में सही अनुवाद करना चाहते हैं तो पहले यह जानना जरूरी कौन इसका किस उद्देश्य से उपयोग कर रहा है। आम बातचीत में चिट्ठा शब्द का उपयोग हिसाब-किताब से ही लिया जाता है और उस्मने रचनात्मकता और सृजनशीलता का कहीं बोध नहीं होता जब कि हम यहाँ देख रहे हैं कि कई लोग इसका उपयोग अपने रचना धर्म को निभाने के लिए कर रहे हैं।
जब तक मैने वाणिज्य विषय में पढ़ना शुरू नहीं किया था तब तक चिट्ठा शब्द से मेरा वास्ता ही नहीं पढा था और मैने तब अपनी छोटी-छोटी कवितायेँ लिखने का अभ्यास शुरू भी कर दिया था। चिट्ठा शब्द मेरे सामने आया जब अपने लेखांकन का अध्ययन शुरू किया। उसमें इसे बेलेंस शीट कहा गया और हम हिंदी में उसे चिट्ठा ही कहते थे। इसका सीधा मतलब यह कि चिट्ठा अंक प्रधान है न कि शब्द प्रधान जबकि लोग रहे हैं वह तो अपने मनोभाव की शब्दों में अभिव्यक्ति कर रहे हैं। जब चिट्ठा शब्द आता है तो मेरे दिमाग में आंकडे घूमने लगते हैं। वैसे मैने ब्लोग और ब्लॉगर शब्द भी अंग्रेजी डिक्शनरी (शब्दकोश) में देखने का प्रयास किया पर वह नहीं मिला। मेरे लिए चिट्ठा शब्द केवल आंकड़ों के मायाजाल से अधिक कुछ नहीं है। इसलिये जब मैं लिखता हू तो सीधे ब्लोग ही लिख देता हूँ क्योंकि वह ज्यादा सहज लगता है। हिंदी भाषा की दृष्टि से भी चिट्ठा शब्द आंकड़ों से अधिक संबंधित लगता है। इसके लिए मैं हिंदी में निज पत्रक ही शब्द अधिक सुविधाजनक पाता हूँ और मुझे लगता है इसे ज्यादा लोकप्रियता तो पत्र या पत्रिका शब्द से ही मिल सकती है-जैसे-जैसे यह विधा लोकप्रिय होगी अपने साथ नए शब्द लाएगी इसमें कोई संशय नहीं है ।

जब मुझसे कोई मित्र पूछता है कि इन्टरनेट पर तुम जिस पर लिख रहे हो उसे क्या कहते हैं तो मैं कहता हूँ कि अंग्रेजी में ब्लोग और हिंदी में कहो तो 'निजी पत्रिका' पर लिखता हूँ। तब वह सहजता से समझ जाते हैं और किसी से कहूं कि यह चिट्ठा है तो उसका ध्यान आंकड़ों में खो जाता है। शुरूआत में जब मैने अपने ब्लोग बनाए तो उनमें पत्रिका शब्द कहीं न कहीं जरूर लिखा क्योंकि उस समय मुझे यह मालुम नहीं था कि इसे चौपालों पर चिट्ठा कहा जायेगा-वैसे भी इसे वहीं गढा गया है और अभी इस पर अभी आम लोगों की मुहर लगना बाकी है । मेरे विचारों में यह स्वतन्त्र पत्रकारिता की तरह है।
यह कोई विवाद खडा करने के लिए नहीं लिख रहा हूँ, बल्कि मेरे लक्ष्य यह है कि हम इस शब्द के उन पहलुओं पर विचार करें जो इसकी प्रगति पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। जब हम किसी ने आदमी से कहेंगे कि चलो चिट्ठा लिखो तो उस पर इतना प्रभाव नहीं पडेगा पर अगर हम उससे कहेंगे कि इन्टरनेट पर अपनी पत्रिका निकालो तो उसमें उत्साह पैदा होगा। अभी मैं अपने मित्रों से वार्तालाप में इसे 'पत्रिका' ही कहता हूँ और वह इसे मान भी लेते हैं क्योंकि मेरे लेखन कार्य को देखते हुए इन्हें इस पर कोई हैरानी भी नहीं होती। कुछ लेखक मित्र है और इन्टरनेट पर लिखने का मन बना रहे हैं उनके सामने इसे पत्रिका कहकर ही प्रचारित करता हूँ, क्योंकि उनके सामने चिट्ठा शब्द का उपयोग करना मतलब शब्दों से हटाकर अंकगणित और लेखा में उलझाना ही होगा। वैसे भी मुख्य मतलब तो इन्टरनेट पर हिंदी को बढावा देना है इसे चिट्ठा कहो या निज पत्रक या पत्रिका क्या फर्क पड़ता है। अत: हमें समानार्थी शब्दों को भी ग्रहण करने के मनस्थिति बनानी चाहिए वैसे भी यह कारवाँ आगे बढते हुए नए शब्द गढ़ता जायेगा।

3 comments:

Rachna Singh said...

kuch shabd agar agreji kae bhi ho toh kya farak hae hindi chittah naa kehkae agar hindi blog kahae ton bhi theek hae . kuch shabd jaeise link itaayadi bhi vase hi use kiyae jaasakte hae .
shabd jaise chatka lagae ek ajeeb see vitrshna kaa esaas daetae hae aur aam blogger ko samejh hee nahin aatae

रवीन्द्र प्रभात said...

महत्वपूर्ण जानकारी है, क्रम बनाए रखें.

संजीव कुमार said...

achhi jaankari hai,
dhanyavaad.

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