समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

11/13/07

अपने शब्दों को कागज़ पर आने दो

मन में घुमड़ते शब्द
जब सताने लगें तब समझना
अपना अर्थ समझाने के लिए
जमीन पर उतरना चाहते हैं
जब मन में हो अकेलापन
ख्यालों में हो हो सूनापन
तब समझना कुछ शब्द हैं
तुम्हारे मन में
जो किसी अर्थ का साथ ढूंढना चाहते हैं

उन्हें जितना अपने अन्दर रोकोगे
विष बनकर डसने लगेंगे
तुम्हारे खालीपन में बीभत्स
आवाज करने लगेंगे
जब कहीं मन न लगता हो
कलम को अपना साथी बना लो
सत् साहित्य की किताबों को
अपना गुरु बना लो
जब अकेलेपन का अहसास हो
समझ लेना तुम्हारे शब्द
कागज़ पर अपना घर बनाना चाहते हैं
----------------------------------------

1 comment:

मीनाक्षी said...

"तुम्हारे शब्द कागज़ पर अपना घर बनाना चाहते हैं"

बहुत सुन्दर रचना जो शब्दों और भावों को जीवन दान देने को लालायित है...

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

विशिष्ट पत्रिकायें