करते हैं जो दिन में
नैतिक आदर्श की बात,
बेशर्म बना देती है
उनको अंधियारी काली रात।
चेहरे की लालिमा को
उनके अंतर्मन का तेज न समझना
मेकअप भी निभाता है
चमकने में उनका साथ,
सूरज की रौशनी में
जिस सिर पर आशीर्वाद का हाथ फेरते
उसी की इज्जत पर रखते हैं रात को लात।।
---------------
नैतिक आदर्श की बात,
बेशर्म बना देती है
उनको अंधियारी काली रात।
चेहरे की लालिमा को
उनके अंतर्मन का तेज न समझना
मेकअप भी निभाता है
चमकने में उनका साथ,
सूरज की रौशनी में
जिस सिर पर आशीर्वाद का हाथ फेरते
उसी की इज्जत पर रखते हैं रात को लात।।
---------------
खुल रही है समाज के ठेकेदारों की कलई
शरीर पर हैं सफेद कपड़े, नीयत में नंगई।
बरसों तक ढो रहा है समाज, सरदार समझकर
हाथ जोड़े खड़े मुस्कराते रहे, दिल जिनसे कुचले कई।।
नारी उद्धार को लेकर, मचाया हमेशा बवाल
मेहनताने में मांगी, हर बार रात को एक कली नई।
-------------
टूट रहा है विश्वास
मर रही है आस।
जिन्होंने दिये हैं नारी उद्धार पर
कई बार दिन में प्रवचन,
करते रहे वही हमेशा
काली रात के अंधियारे में काम का भजन,
देवी की तरह पूजने का दावा करते दिन में
रात को छलावा खेलें ऐसे, जैसे कि हो वह तास।
कवि, लेखक और संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियरशरीर पर हैं सफेद कपड़े, नीयत में नंगई।
बरसों तक ढो रहा है समाज, सरदार समझकर
हाथ जोड़े खड़े मुस्कराते रहे, दिल जिनसे कुचले कई।।
नारी उद्धार को लेकर, मचाया हमेशा बवाल
मेहनताने में मांगी, हर बार रात को एक कली नई।
-------------
टूट रहा है विश्वास
मर रही है आस।
जिन्होंने दिये हैं नारी उद्धार पर
कई बार दिन में प्रवचन,
करते रहे वही हमेशा
काली रात के अंधियारे में काम का भजन,
देवी की तरह पूजने का दावा करते दिन में
रात को छलावा खेलें ऐसे, जैसे कि हो वह तास।
http://anantraj.blogspot.com
-----------------
यह आलेख इस ब्लाग ‘दीपक भारतदीप का चिंतन’पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.अनंत शब्दयोग
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका
4.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान पत्रिका
1 comment:
Sundar.
--------
क्या आपने लोहे को तैरते देखा है?
पुरुषों के श्रेष्ठता के 'जींस' से कैसे निपटे नारी?
Post a Comment