जिस विश्वास को पाले रहते हैं
कई बरस तक मन में
जब टूट कर बिखरते हैं कांच की तरह
डूब जाते हैं गम में
कुछ भ्रम होते हैं
जिन्हें हम विश्वास का नाम देते हैं
किसी प्रमाण के बिना हम अजनबियों को
आत्मीय होने का नाम देते हैं
किसी के अपन होने का
अपने को खूब दिलासा दें
हकीकत यह है कि
सैर करने के लिए कई लोग मिलते हैं
पर हम अकेले ही होते हैं चमन में
भ्रमजाल फैलाकर सिंहासन पा जाते-दीपकबापूवाणी (bhramjal Failakar singhasan
paa jaate-DeepakbapuWani
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*छोड़ चुके हम सब चाहत,*
*मजबूरी से न समझना आहत।*
*कहें दीपकबापू खुश होंगे हम*
*ढूंढ लो अपने लिये तुम राहत।*
*----*
*बुझे मन से न बात करो*
*कभी दिल से भी हंसा...
6 years ago
2 comments:
बिल्कुल सही
हम अकेले ही होते हैं
सही कहा-निपट अकेले.
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